हर बार भूकंप की चेतावनी..।इसलिए खतरा बढ़ा, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी
नेपाल में हुए भूकंप से उत्तराखंड के कई शहर प्रभावित हुए। भू-विज्ञान संस्थान के अनुसार, छह मैग्नीट्यूड तीव्रता का भूकंप कुछ भी नहीं कर पाया था। भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के आपस में टकराने से धरती के नीचे काफी ऊर्जा संग्रहित होती है। छोटे भूकंप से जमा ऊर्जा खो जाती है। इससे बड़े भूकंप की आशंका कम होती है।
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक कालाचंद सेन ने बताया कि नेपाल में आए भूकंप के उत्तराखंड पर अब तक तीन बार 6 मैग्नीट्यूड के आसपास भूकंप आ चुके हैं। धरती के नीचे चल रही हलचल के लिहाज से इस तीव्रता का भूकंप सकारात्मक है
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक कालाचंद सेन ने बताया कि नेपाल में आए भूकंप के उत्तराखंड पर अब तक तीन बार 6 मैग्नीट्यूड के आसपास भूकंप आ चुके हैं। धरती के नीचे चल रही हलचल इस तीव्रता के भूकंप के पक्ष में है। उनका कहना था कि भारत और यूरोपीय प्लेटों के टकराने के प्रभावों को जीपीएस के माध्यम से देखा गया था। इसमें पता चला कि धरती के नीचे बहुत सारी एनर्जी सुरक्षित है।
उत्तराखंड में भूकंप के दो झटके हुए(भूकंप से उत्तराखंड)
उत्तराखंड में भूकंप के दो झटके हुए, जबकि नेपाल में चार भूकंप हुए. देहरादून स्थित हिमालय भू विज्ञान संस्थान ने भूकंप की वास्तविक समय में जांच शुरू की। नियंत्रण कक्ष ने बताया कि उत्तराखंड में सिर्फ दो झटकों का शोर हुआ था। 2 बजकर 25 मिनट पर भूकंप का पहला झटका हुआ, जिसकी तीव्रता 4.9 मैग्नीट्यूड थी। 2 बजकर 51 मिनट पर उत्तराखंड में दूसरा झटका लगा। इसका तीव्रता केंद्र 5.7 मैग्नीट्यूड है। यह उत्तराखंड में इतना तीव्र नहीं था।
भूकंपीय फॉल्ट दून में सक्रिय हैं
भूकंप भीदेहरादून को प्रभावित कर सकते हैं। यहां पहले से ही भूकंपीय फॉल्ट सक्रिय हैं। भूकंपीय फॉल्ट की सक्रियता से भूगर्भ में ऊर्जा संचित होती है। यह कितनी मात्रा में इसका वैज्ञानिक अंदाजा भी नहीं लगा सकता। ऊर्जा संचय होने के बाद ही यह भूकंप बन जाता है। यह कब बाहर आएगा पता नहीं है। हाल ही में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने एक अध्ययन में फॉल्ट की सक्रियता का पता लगाया था।