आज है राजीव दीक्षित जी की जयंती, जानिए आखिर कौन थे ये महान व्यक्ति
राजीव दीक्षित जी का जन्मदिवस(Rajiv Dixit ji birthday)
पिता राधेश्याम दीक्षित और माता मिथिलेश कुमारी के पुत्र राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवंबर 1967 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के नाह गाँव में हुआ था। उनका प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल फिरोजाबाद जिले में था। उन्होंने बी.टेक. श्री प्रयागराज (तब इलाहाबाद) से और एम.टेक. आईआईटी कानपुर से। राजीव भाई ने भारत में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) में कुछ समय तक काम किया। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी गोपनीय शोध में काम किया।

पढ़ाई के दौरान ही आंदोलन शुरू(Rajiv Dixit’s movement)
राजीव जी ने जेके इंस्टीट्यूट, श्री प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) से बी.टेक की पढ़ाई पूरी की। वे पढ़ाई के दौरान ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय में गणित विभाग के प्रधान अध्यापक बनवारीलाल शर्मा ने स्थापित किए गए ‘आज़ादी बचाओ आन्दोलन’ से जुड़ गए। राजीव भाई ने संगठन में भाषण दिया था। अभय प्रताप, संत समीर, केशर, राम धीरज, मनोज त्यागी और योगेश कुमार मिश्र ने संस्थान में अपने-अपने विषयों पर अध्ययन करते थे। जो संस्था द्वारा प्रकाशित ‘नई आज़ादी उद्घोष’ नामक मासिक पत्रिका में प्रकाशित होता था।
बचपन से ही थे जिज्ञासु
राजीव जी ने अपने इतिहास के अध्यापक से पूछा, सर! बताओ पलासी के युद्ध में अंग्रेजों की ओर से लड़ने वाले कितने सैनिक थे? टीचर ने कहा- मुझे नहीं पता, फिर राजीव ने पूछा कि मुझे क्यों नहीं पता? टीचर ने कहा कि मुझे कोई न पढ़ाए. राजीव ने पूछा कि सर, कृपया मुझे बताएं कि क्या सैनिकों के बिना कोई युद्ध हो सकता है? टीचर ने कहा नहीं…! तब राजीव ने पूछा कि हमें यह क्यों नहीं सिखाया जाता कि युद्ध में अंग्रेजों के पास कितने सैनिक थे? राजीव ने दूसरा सवाल पूछा कि तो बताओ अंग्रेजों के पास कितने सैनिक थे, हमें नहीं पता. तो सिराजुद्दोला जो हिंदुस्तान की तरफ से लड़ रहा था उसके पास कितने सैनिक थे? टीचर ने कहा, इसका भी पता नहीं चलता. इस सवाल का जवाब बहुत बड़ा और गंभीर है कि आखिर भारत मुट्ठी भर अंग्रेजों का गुलाम कैसे बन गया? इसका उत्तर आपको राजीव भाई के व्याख्यान ‘आज़ादी का असली इतिहास’ में मिलेगा।
स्वदेशी आंदोलन-राजीव दीक्षित जी
यह सब जानने के बाद राजीव भाई ने एक बार फिर इन विदेशी कंपनियों और भारत में ब्रिटिश कानूनों के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन शुरू करने का निश्चय किया, जैसा कि बालगंगाधर तिलक ने पहले अंग्रेजों के खिलाफ किया था। उन्होंने जीवन भर ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और अपने देश को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने और उसे एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में बनाने का प्रयत्न किया। वह घूम-घूमकर लोगों को भारत में अंग्रेजी कानून, आधी-अधूरी आजादी, विदेशी कंपनियों की लूट के बारे में बताते रहे। 1999 में राजीव जी के स्वदेशी भाषणों के कैसेट ने देश भर में धूम मचा दी।



