गणेश जी को सकट चौथ पर इस विधि से करें प्रसन्न; जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Sakat Chauth 2024:
उत्तर भारत में अक्सर सकट चौथ व्रत मनाया जाता है, जिसमें व्रती महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और संतान की खुशी की प्रार्थना करती हैं। यह व्रत चौथी तिथि को ही किया जाता है, और व्रती महिलाएं ही इसे सकट चौथ के दिन कर सकती हैं. इस दौरान वे अपने पति का दर्जा ऊंचा करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करती हैं। पूजा पूरी होने पर भगवान गणेश से अपनी इच्छाएँ पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।
यदि आप सकट चौथ पर भगवान गणेश को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको पहले अपने मन को शांत और स्थिर करने के लिए कुछ समय देना चाहिए और पूजा को सावधानीपूर्वक और श्रद्धा भाव से करना चाहिए। यह आपको शान्ति, समृद्धि और कई सुखद क्षण देता है, साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी करता है।
सकट चौथ तिथि 2024( Sakat Chauth Date and Timing )
पंचांग के अनुसार, माघ मास की चतुर्थी तिथि 29 जनवरी 2024 को सुबह 06:10 बजे शुरू होगी और 30 जनवरी 2024 को सुबह 08:54 बजे समाप्त होगी। इसलिए, इस वर्ष 29 जनवरी 2024 को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। सकट चौथ के दिन सबसे अच्छा अमृत योग बन रहा है. शुभ (उत्तम) योग सुबह 09 बजकर 43 मिनट से 11 बजकर 14 मिनट तक रहेगा और मुहूर्त सुबह 07 बजकर 11 मिनट से 08 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, शाम चार बजे 37 मिनट से सात बजे 37 मिनट तक मुहूर्त चलेगा।
सकट चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth Puja Method)
- गणेश चालीसा या मंत्र पढ़कर दूर्वा की पत्तियों या पुष्प अर्पित करें।
- आरती के बाद गणेश जी को मिठाई, बेसन के लड्डू, फल और दूध के साथ प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
- “ॐ गं गणपतये नमः” भगवान गणेश का मंत्र है। 108 बार इस मंत्र का जप करें।
- भगवान गणेश को भोजन अर्पित करने के बाद, आप खुद भोजन लें और गरीबों को दें।
- आप चाहें तो गणेशजी की हर समय पूज सकते हैं, आप गणेश चतुर्थी पर व्रत रखकर विशेष पूजा कर सकते हैं।
सकट चौथ का महत्व (Importance of Sakat Chauth)
महिलाएं सकट चौथ का व्रत रखती हैं ताकि उनके पति और संतान खुश रहें। व्रती महिलाएं शाम को गणेशजी की पूजा करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद भोजन करती हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश ने माघ मास की चतुर्थी के दिन अपने माता-पिता को देखा और उनकी महान बुद्धि और ज्ञान को दिखाया। इस व्रत को करने से संतान को अच्छा स्वास्थ्य, बुद्धि और समृद्धि मिलती है। इस दिन तिल का स्नान, दान, सेवन और पूजा में विशेष इस्तेमाल किया जाता है।