पलायन पर टिहरी की श्रृष्टि की फिल्म, अब मिला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (Ek tha gaon)

सृष्टि लखेड़ा की फिल्म ‘एक था गांव’(Shrishti Lakhera film,“Ek tha gaon”)
Ek tha gaon, उत्तराखंड के पहाड़ जितने खूबसूरत और मनमोहक नजर आते है, ये पहाड़ उस से बड़ी टीस अपने दिल में दबा कर बैठे है। इन पहाड़ों की बाहों में बसे गांव जो अपना अस्तित्व खो रहे हैं इन के लिए आज केवल गांव ही नहीं बल्कि पहाड़ भी रो रहा है। पलायन इन सब का एक मुख्य कारण है। उत्तराखंड के लगभग 1000 से भी ज्यादा गांव पलायन की भेंट चढ़ चुके है। इन गांव में आज इंसानों से ज्यादा खाली घर नजर आते है। एक बेहतर जिंदगी और ऐशो आराम के लिए पलायन कर गए लोग गांवों और बुजुर्गों के लिए पीछे छोड़ जाते है इंतजार। उत्तराखंड में पलायन के इस ही दर्द को ज़ाहिर करती है सृष्टि लखेड़ा की फिल्म ‘एक था गांव’ ।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा बेस्ट नॉन फीचर फिल्म का अवॉर्ड(Ek tha gaon)
ये फिल्म इतनी गहराई से पलायन का दर्द और पीछे छूटे लोगों का संघर्ष दिखाती है कि आप इस फिल्म से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे। इतने संवेदनशील मुद्दे को जनता तक लाने के लिए इस फिल्म को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा बेस्ट नॉन फीचर फिल्म का अवॉर्ड तक मिला है। 17 अक्टूबर 2023 को आयोजित हुए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में इस फिल्म ने काफी तारीफ बटोरी।
once upon a village by srishti lakhera

इस फिल्म की सराहना करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि “मुझे खुशी है कि महिला फिल्म निर्देशक सृष्टि लखेरा ने ‘एक था गांव’(Ek tha gaon) नामक अपनी पुरस्कृत फिल्म में एक 80 साल की वृद्ध महिला की संघर्ष करने की क्षमता का चित्रण किया है। महिला चरित्रों के सहानुभूतिपूर्ण और कलात्मक चित्रण से समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान में वृद्धि होगी।”
ये पहली बार नहीं है कि इस फिल्म को ख्याति प्राप्त हुई हो, इस से पहले भी सृष्टि लखेड़ा (35) की फिल्म ‘एक था गांव’ ,मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज (मामी) फिल्म महोत्सव के इंडिया गोल्ड श्रेणी में जगह बना चुकी है।उत्तराखंड के टिहरी जिले के कीर्तिनगर ब्लॉक के सेमला गांव निवासी सृष्टि लखेड़ा अपने परिवार के साथ ऋषिकेश में रहती है।
सृष्टि के पिता बाल रोग विशेषज्ञ है। करीब 13 साल की उम्र से ही सृष्टि फिल्म लाइन के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। गढ़वाली और हिंदी भाषा में बनी उनकी इस फिल्म में घोस्ट विलेज (पलायन से खाली हो चुके गांव) की कहानी है।