उत्तराखंड में इगास की धूम-गृहमंत्री अमित शाह ने भी मनाया इगास का उत्सव
उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति और लोक जीवन से जुड़ा इगास पर्व इस वर्ष भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पहाड़ों से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक इस पर्व की गूंज सुनाई दी। पारंपरिक गीतों, लोकनृत्यों और पहाड़ी व्यंजनों की खुशबू से वातावरण पूरी तरह उत्तराखंडी रंग में रंग गया।
दिल्ली में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड से जुड़ी हस्तियों और राजनीतिक नेताओं ने भी भाग लिया। भाजपा के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के निवास पर आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस मौके पर उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति की सराहना करते हुए कहा कि “उत्तराखंड के लोग जहाँ भी रहते हैं, अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं यही हमारी असली पहचान है।
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य व्यक्ति, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और दिल्ली में रहने वाले उत्तराखंडी मूल के लोग शामिल हुए। सभी ने पारंपरिक परिधान पहनकर पर्व की गरिमा बढ़ाई। ढोल-दमाऊं की थाप पर पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए गए और स्थानीय कलाकारों ने उत्तराखंड के लोकगीतों से समा बाँध दिया।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने राज्यवासियों से अपील की कि वे अपने-अपने गांवों में भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाएं। उन्होंने कहा कि इगास केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारी जड़ों से जुड़ने का प्रतीक है। जब नई पीढ़ी गांवों में लौटकर इस उत्सव में भाग लेगी तभी हमारी संस्कृति और परंपरा आगे बढ़ेगी।
इगास को उत्तराखंड में बग्वाल के नाम से भी जाना जाता है और इसे दीपावली के ठीक 11 दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व गाय गौ-धन और कृषि जीवन से जुड़ा है। कहा जाता है कि जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे उस समय पहाड़ के लोगों को यह समाचार देर से मिला इसलिए उन्होंने दीपावली के कुछ दिन बाद इगास के रूप में इसे मनाया। तभी से यह पर्व उत्तराखंड की परंपरा का हिस्सा बना हुआ है।
आज भी उत्तराखंड के कई गांवों में लोग सुबह गौ-सेवा करते हैं घरों में पकवान बनाते हैं और शाम को दीप जलाकर भगवान राम गौ माता और अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं। युवा पीढ़ी लोकगीत गाते हुए गांवों में घूमती है और बुजुर्गों से आशीर्वाद लेती है।
दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि भले ही लोग अपने पहाड़ों से दूर हों, लेकिन अपनी संस्कृति और जड़ों से उनका रिश्ता कभी नहीं टूटता। अमित शाह ने इस अवसर पर कहा कि उत्तराखंड के पर्व न केवल धार्मिक हैं बल्कि सामाजिक एकता और परिवारिक संबंधों को भी मजबूत करते हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार उत्तराखंड की संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव सहयोग करेगी।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों ने पारंपरिक भोजन का आनंद लिया। झंगोरे की खीर गहत की दाल और मंडुवे की रोटी जैसे व्यंजनों ने सभी को अपने गांवों की याद दिला दी।
इस तरह इगास पर्व ने न केवल उत्तराखंड बल्कि दिल्ली और देशभर में रहने वाले उत्तराखंडियों को एक सूत्र में पिरो दिया। यह पर्व हर वर्ष हमें यह याद दिलाता है कि चाहे हम कितनी भी आधुनिकता की ओर बढ़ जाएं अपनी संस्कृति परंपरा और लोक संस्कारों से जुड़ाव ही हमारी सबसे बड़ी पहचान है।



